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Ready to Write - Colouring Activity - 2
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Chicken Soup for the Womans Soul
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Chintamani by Acharya Ram Chandra Shukla
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चिन्तामणि ‘‘यदि वाणी की शक्ति ईश्वर का सबसे उत्तम प्रसाद है; यदि भाषा की उत्पत्ति बहुत-से विद्वानों द्वारा ईश्वर से मानी गयी है ? यदि शब्दों द्वारा अन्तःकरण के गुप्त रहस्य प्रकट किये जाते हैं; चित्त की वेदना को शान्ति दी जाती है; हृदय में बैठा हुआ शोक बाहर निकाल दिया जाता है; दया उत्पन्न की जाती है और बुद्धि चिरस्थायी बनायी जाती है; यदि बड़े ग्रन्थकारों द्वारा बहुत-से मनुष्य मिलकर एक बनाये जाते हैं; जातीय लक्षण स्थापित होता है; भूत और भविष्य तथा पूर्व और पश्चिम एक-दूसरे के सम्मुख उपस्थित किये जाते हैं; और यदि ऐसे लोग मनुष्य जाति में अवतार-स्वरूप माने जाते हैं – तो साहित्य की अवहेलना करना और उसके अध्ययन से मुख मोड़ना कितनी बड़ी भारी कृतघ्नता है !’’ ‘साहित्य’ शीर्षक निबन्ध से
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Categories: Books, Fiction & Literature
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Dimensions | 12 × 10 × 2 cm |
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100 Great Inspiring Stories
Here is a collection of inspirational and motivational stories, which everyone will enjoy reading and you can learn something from each story too.
Written in an interactive form every story, presented in this book conveys a special message for the readers, to get inspired to achieve something great and outstanding in life. One of the special features, in the presentation of the stories, is that the ending part of the story is not revealed. The readers have to think for a while and come up with their own answers.
100 World’s Greatest Short Stories
Embark on a captivating literary journey with the 100 World's Greatest Short Stories collectable edition. From timeless classics to hidden gems, this curated anthology features an extraordinary collection of short stories that span genres, cultures, and eras, providing endless reading pleasure.
A literary journey to delight and inspire!
Colonel Jim Corbet
‘जिम’ कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई, 1875 को नैनीताल में हुआ था। उन्हें ब्रिटेन में शिकारी, प्रकृतिविद्, लेखक और जीव-संरक्षणवादी के रूप में जाना जाता है; लेकिन भारत में वह इन सभी से ज्यादा नरभक्षी बाघों और तेंदुओं के शिकारी के रूप में जाने जाते हैं। 18 साल के होते-होते जिम ने पढ़ाई छोड़ दी। उन्हें बिहार के मोकामा घाट, बंगाल और नॉर्थ-वेस्टर्न रेलवे में फ्यूल इंस्पेक्टर की नौकरी मिल गई। ब्रिटिश इंडियन आर्मी में कॉर्बेट को कर्नल का पद दिया गया था। उस दौरान कुमाऊँ और गढ़वाल क्षेत्रों के गाँवों में नरभक्षी बाघों और तेंदुओं का आतंक था। जिम कॉर्बेट ने इन इलाकों में 33 बाघों और तेंदुओं का सफाया करके लोगों को इनके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। जिम को बाघों और उनके न से बेहद लगाव रहा। उन्होंने अपनी पुस्तकों में बाघों और तेंदुओं के परिवार, उनके आचरण, उनकी दिनचर्या और उनके न आदि से संबंधित ढेरों जानकारियाँ दी हैं। कर्नल जिम कॉर्बेट की जीवनी के माध्यम से जंगल की अनजान दुनिया व अनजानी बातें बताती और एक सहज-स्वाभाविक जिज्ञासा जगाती अत्यंत पठनीय पुस्तक।.
Mai Kehta Ankhan Dekhi (मैं कहता आंखन देखी)
Rajneesh (born Chandra Mohan Jain, 11 December 1931 – 19 January 1990) and latter rebranded as Osho was leader of the Rajneesh movement. During his lifetime he was viewed as a controversial new religious movement leader and mystic.
In the 1960s he traveled throughout India as a public speaker and was a vocal critic of socialism, Mahatma Gandhi, and Hindu religious orthodoxy.
Rajneesh emphasized the importance of meditation, mindfulness, love, celebration, courage, creativity and humor—qualities that he viewed as being suppressed by adherence to static belief systems, religious tradition and socialization.
Main Aryaputra Hoon
आर्य कौन थे? कब थे? कहाँ बसते थे? क्या करते थे? कैसे रहते थे?...इन अनगिनत प्रश्नों के उत्तर की प्रामाणिक कथा है—‘मैं आर्यपुत्र हूँ’।
रामायण श्रीराम की जीवनकथा है और यह अब तक की आदर्श जीवनकथा होनी चाहिए। ठीक इसी तरह महाभारत समाज की कथा है और यह अब तक की महानतम सामाजिक-कथा होनी चाहिए, अपने आप में संपूर्ण। इन दोनों कथाओं से आर्यों के चरित्र का अनुमान तो लगाया जा सकता है, मगर उनका समग्र रूप नहीं दिख पाता, क्योंकि श्रीराम व श्रीकृष्ण अवतारी पुरुष थे, जबकि मैं यहाँ सामान्य आर्यों की बात कर रहा हूँ।
आर्यों की कथा ही क्यों? क्योंकि विश्व इतिहास का यह सबसे बड़ा झूठ रचा गया कि आर्य बाहरी और आक्रमणकारी थे। यह पश्चिम के विद्वानों की विद्वत्ता और निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न है। फिर यह भारत के वामपंथी इतिहासकारों की गुलाम मानसिकता है, जो उन्होंने इस आधारहीन काल्पनिक मत को आगे बढ़ाया। जबकि एक भी प्रमाण अपनी बात के समर्थन में ये दोनों आज तक प्रस्तुत नहीं कर पाए।
Main Dharmikta Sikhata Hoon Dharm Nahin – (मैं धार्मिकता सिखाता हूं धर्म नहीं)
ओशो के प्रखर विचारों ने, ओजस्वी वाणी ने मनुष्यता के दुश्मनों पर, संप्रदायों पर, मठाधीशों पर, अंधे राजनेताओं पर, जोरदार प्रहार किया। लेकिन पत्र-पत्रिकाओं ने छापीं या तो ओशो पर चटपटी मनगढंत खबरें या उनकी निंदा की, भ्रम के बादल फैलाए। ये भ्रम के बादल आड़े आ गये ओशो और लोगों के। जैसे सूरज के आगे बादल आ जाते हैं। इससे देर हुई। इससे देर हो रही है मनुष्य के सौभाग्य को मनुष्य तक पहुंचने में।
Mein Jo Hoon, ‘Jon Elia’ Hoon
मैं जो हूँ जॉन एलिया हूँ जनाब मेरा बेहद लिहा ज़ कीजिएगा। कहना ये जो जॉन एलिया के कहने की खुद्दारी है कि मैं एक अलग फ्रेम का कवि हूँ, यह परम्परागत शायरी में बहुत कम ही देखने को मिलती है। जैसे - साल हा साल और इक लम्हा, कोई भी तो न इनमें बल आया ख़ुद ही इक दर पे मैंने दस्तक दी, ख़ुद ही लड़का सा मैं निकल आया जॉन से पहले कहन का ये तरीका नहीं देखा गया था। जॉन एक खूबसूरत जंगल हैं,