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lajjas
Categories: Books, Fiction & Literature
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Weight | .4 g |
---|---|
Dimensions | 12 × 10 × 2 cm |
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Chintamani by Acharya Ram Chandra Shukla
चिन्तामणि ‘‘यदि वाणी की शक्ति ईश्वर का सबसे उत्तम प्रसाद है; यदि भाषा की उत्पत्ति बहुत-से विद्वानों द्वारा ईश्वर से मानी गयी है ? यदि शब्दों द्वारा अन्तःकरण के गुप्त रहस्य प्रकट किये जाते हैं; चित्त की वेदना को शान्ति दी जाती है; हृदय में बैठा हुआ शोक बाहर निकाल दिया जाता है; दया उत्पन्न की जाती है और बुद्धि चिरस्थायी बनायी जाती है; यदि बड़े ग्रन्थकारों द्वारा बहुत-से मनुष्य मिलकर एक बनाये जाते हैं; जातीय लक्षण स्थापित होता है; भूत और भविष्य तथा पूर्व और पश्चिम एक-दूसरे के सम्मुख उपस्थित किये जाते हैं; और यदि ऐसे लोग मनुष्य जाति में अवतार-स्वरूप माने जाते हैं - तो साहित्य की अवहेलना करना और उसके अध्ययन से मुख मोड़ना कितनी बड़ी भारी कृतघ्नता है !’’ ‘साहित्य’ शीर्षक निबन्ध से
Colonel Jim Corbet
‘जिम’ कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई, 1875 को नैनीताल में हुआ था। उन्हें ब्रिटेन में शिकारी, प्रकृतिविद्, लेखक और जीव-संरक्षणवादी के रूप में जाना जाता है; लेकिन भारत में वह इन सभी से ज्यादा नरभक्षी बाघों और तेंदुओं के शिकारी के रूप में जाने जाते हैं। 18 साल के होते-होते जिम ने पढ़ाई छोड़ दी। उन्हें बिहार के मोकामा घाट, बंगाल और नॉर्थ-वेस्टर्न रेलवे में फ्यूल इंस्पेक्टर की नौकरी मिल गई। ब्रिटिश इंडियन आर्मी में कॉर्बेट को कर्नल का पद दिया गया था। उस दौरान कुमाऊँ और गढ़वाल क्षेत्रों के गाँवों में नरभक्षी बाघों और तेंदुओं का आतंक था। जिम कॉर्बेट ने इन इलाकों में 33 बाघों और तेंदुओं का सफाया करके लोगों को इनके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। जिम को बाघों और उनके न से बेहद लगाव रहा। उन्होंने अपनी पुस्तकों में बाघों और तेंदुओं के परिवार, उनके आचरण, उनकी दिनचर्या और उनके न आदि से संबंधित ढेरों जानकारियाँ दी हैं। कर्नल जिम कॉर्बेट की जीवनी के माध्यम से जंगल की अनजान दुनिया व अनजानी बातें बताती और एक सहज-स्वाभाविक जिज्ञासा जगाती अत्यंत पठनीय पुस्तक।.
Main Aryaputra Hoon
आर्य कौन थे? कब थे? कहाँ बसते थे? क्या करते थे? कैसे रहते थे?...इन अनगिनत प्रश्नों के उत्तर की प्रामाणिक कथा है—‘मैं आर्यपुत्र हूँ’।
रामायण श्रीराम की जीवनकथा है और यह अब तक की आदर्श जीवनकथा होनी चाहिए। ठीक इसी तरह महाभारत समाज की कथा है और यह अब तक की महानतम सामाजिक-कथा होनी चाहिए, अपने आप में संपूर्ण। इन दोनों कथाओं से आर्यों के चरित्र का अनुमान तो लगाया जा सकता है, मगर उनका समग्र रूप नहीं दिख पाता, क्योंकि श्रीराम व श्रीकृष्ण अवतारी पुरुष थे, जबकि मैं यहाँ सामान्य आर्यों की बात कर रहा हूँ।
आर्यों की कथा ही क्यों? क्योंकि विश्व इतिहास का यह सबसे बड़ा झूठ रचा गया कि आर्य बाहरी और आक्रमणकारी थे। यह पश्चिम के विद्वानों की विद्वत्ता और निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न है। फिर यह भारत के वामपंथी इतिहासकारों की गुलाम मानसिकता है, जो उन्होंने इस आधारहीन काल्पनिक मत को आगे बढ़ाया। जबकि एक भी प्रमाण अपनी बात के समर्थन में ये दोनों आज तक प्रस्तुत नहीं कर पाए।
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ओशो के प्रखर विचारों ने, ओजस्वी वाणी ने मनुष्यता के दुश्मनों पर, संप्रदायों पर, मठाधीशों पर, अंधे राजनेताओं पर, जोरदार प्रहार किया। लेकिन पत्र-पत्रिकाओं ने छापीं या तो ओशो पर चटपटी मनगढंत खबरें या उनकी निंदा की, भ्रम के बादल फैलाए। ये भ्रम के बादल आड़े आ गये ओशो और लोगों के। जैसे सूरज के आगे बादल आ जाते हैं। इससे देर हुई। इससे देर हो रही है मनुष्य के सौभाग्य को मनुष्य तक पहुंचने में।
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The main character of this novel is Angel (fictitious), an IAS officer. Through this composition, I have tried to present the story woven from the threads of Angel's survival and struggle as well as to depict the Labasna training environment of Mussoorie after he got selected in IAS. This is a fantasy novel. The initial chapters tell the story of the friendship between four candidates preparing for civil services. This novel is the story of every young man of India dreams big and remains firm towards his goal even after listening to the taunts of society and friends. Besides, the challenges that the competitive students had to face during the Corona period have also been depicted. Apart from this, through this composition, I have tried to throw light on administrative corruption and red tape.